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Showing posts from March, 2021

विद्युत-धारा(Electric current) class 10th

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विद्युत धारा— बिजली या विद्युत - धारा से हमारा तात्पर्य होता है, तारों से होकर आवेश ( charge ) का प्रवाह । हम जानते हैं कि पदार्थ के परमाणुओं ( atoms ) की रचना तीन मौलिक कणों से होती है- ऋण आवेशयुक्त इलेक्ट्रॉन ( electron ) , धन आवेशयुक्त प्रोटॉन ( proton ) तथा अनावेशित न्यूट्रॉन ( neutron ) । प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन परमाणु के केंद्रीय भाग में रहते हैं जिसे नाभिक ( nucleus ) कहते हैं । नाभिक के इर्द - गिर्द कुछ निश्चित कक्षाओं ( orbits ) में इलेक्ट्रॉन घूमते रहते हैं । इलेक्ट्रॉन पर जितने परिमाण ( magnitude ) का ऋण आवेश रहता है उतने ही परिमाण का धन आवेश प्रोटॉन पर रहता है । परमाणु में इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटॉनों की संख्या बराबर रहती है , अतः परमाणु विद्युततः उदासीन ( electrically neutral ) होता है । चूंकि परमाणुओं से ही वस्तुओं का निर्माण होता है , इसलिए उनमें समान परिमाण में धन तथा ऋण आवेश होने के कारण वे विद्युततः उदासीन होते हैं । कभी - कभी वस्तुओं में धन तथा ऋण आवेश का यह संतुलन बिगड़ता भी है । उदाहरण के लिए , जब हम एक काँच की छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़ते हैं , तो काँच की छड़ के क...

मानव नेत्र और रंगबिरंगा संसार

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  मानव नेत्र मानव नेत्र या आँख एक अद्भूत प्रकृति प्रदत प्रकाशीय यंत्र है। बनावट— मानव नेत्र या आँख गोलीय होता हैं। आँख के गोले भाग को नेत्रगोलक कहते है। नेत्रगोलक की सबसे बाहरी परत सफेद और मोटी अपारदर्शी चमड़े की होती है,जिसे श्वेत पटल या स्क्लेरोटिक कहते है।इसका अगला भाग कुछ उभरा भाग पारदर्शी होता है ,जिसे कॉर्निया कहते है। स्क्लेरोटिक के नीचे गहरे भूरे रंग की परत होती है,जिसे कॉरॉयड कहते है।कॉरॉयड आगे आकर दो परतों में विभक्त हो जाती है। आगे की अपारदर्शी परत सिकुड़ने और फैलनेवाली डायफ्राम के रूप में रहती है जिसे परितारिका या आइरिस (iris) कहते है।इसके पीछेवाली परतेें सिलियरी पेशियाँ कहलाती है। सिलियरी पेेेेेेशियाँ ,जिलेटिन जैसे पदार्थो से बने नेत्र-लेंस (उत्तल लेंस) को लटकाकर रखती है।                  रेटिना  —    नेत्रगोलक की सबसे भीतरी सूक्ष्मग्राही परत को दृष्टि पटल या रेटिना कहते है। जब प्रकाश रेटिना पर पड़ता है तो संवेदना उत्पन्न होती है।जो प्रकाश-स्नायु या दृक तंत्रिकी द्वारा हमारे मस्तिष्क तक पहुँचती है ...

प्रकाश का अपवर्तन और उसके नियम (Refraction of light and it's law)

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प्रकाश का अपवर्तन क्या है ? जब प्रकाश की किरणें एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में जाती है तो थोड़ा सा दिशा परिवर्तन होता है अर्थात प्रकाश थोड़ा सा मूड़ जाती यह घटना प्रकाश का अपवर्तन कहलाती हैं।   प्रकाश के अपवर्तन की व्याख्या:-    1. आपतित किरण - दो माध्यमों को अलग करनेवाली सतह पर पड़नेवाली प्रकाश - किरण को आपतित किरण ( incident ray ) कहते हैं । 2. आपतन बिंदु - जिस बिंदु पर आपतित किरण दिए हुए माध्यमों को अलग करनेवाली सतह से टकराती है , उसे आपतन बिंदु ( point of incidence ) कहते हैं। 3. अभिलंब - किसी सतह के किसी बिदु पर खींचे गए लंब को उस बिंदु पर अभिलंब ( normal ) कहते हैं । 4. अपवर्तित किरण - दूसरे माध्यम में मुड़कर जाती हुई प्रकाश किरण को अपवर्तित किरण ( refracted ray ) कहते हैं । 5. आपतन कोण - आपतित किरण , आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब से जो कोण बनाती है , उसे आपतन कोण कहते हैं । 6. अपवर्तन कोण - अपवर्तित किरण , आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब से जो कोण बनाती है , उसे अपवर्तन कोण कहते हैं। * प्रकाश की किरणें विरल माध्यम से सघन माध्यम में  जाने पर ...

प्रकाश का परावर्तन वर्ग 10th chapter—1(Reflection of light)

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प्रकाश क्या है ?     उत्तर— प्रकाश वह कारक है, जिसकी सहायता से हम वस्तुओं को देखते हैं। वास्तव में प्रकाश जब किसी वस्तु से टकराकर हमारी आंखों तक पहुंचती है ,तब ही हम किसी वस्तु को देख पाते हैं।  प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है ।                         प्रदीप्त पदार्थ क्या है ? उत्तर— जो वस्तुएं प्रकाश उत्सर्जित करती है वह प्रदीप्त  कहलाती है। जैसे- सूर्य, बिजली का जलता हुआ बल्ब, मोमबत्ती, दिया ,लालटेन आदि।  अदिप्त पदार्थ क्या है ?   उत्तर— जो वस्तुएं प्रकाश उत्सर्जित नहीं करती हैं वह अदीप्त वस्तुएं कहलाती है । जैसे- पत्थर  ईट आदि ।                      प्रकाश का प्रकीर्णन क्या है ?                   उत्तर—   किसी स्रोत से आती हुई कि प्रकाश कितने जब सूक्ष्म कणों जैसे वायु के अणुओं या फिर धूल कणों पर पड़ता है , तो वह कण अपने ऊपर पड़ने वाले कुछ प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं और उसे अप...