स्वतंत्रता दिवस पर भाषण (15 अगस्त) – 5000 शब्दों में

स्वतंत्रता दिवस पर भाषण (15 अगस्त) – 5000 शब्दों मे

नमस्कार, सुप्रभात और जय हिन्द!

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण, अभिभावकगण और मेरे प्यारे साथियों,

आज हम सब यहाँ भारत के सबसे गौरवशाली और ऐतिहासिक दिन — स्वतंत्रता दिवस — को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। सबसे पहले मैं आप सभी को इस महान पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। आज के दिन हम उन अनगिनत बलिदानियों को याद करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आज़ादी दिलाई।

15 अगस्त, 1947 — यह वह दिन है जब भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। यह दिन केवल एक तिथि नहीं, बल्कि वह युगांतकारी क्षण है, जिसने एक गुलाम देश को आज़ाद राष्ट्र के रूप में नया जीवन दिया।

इस भाषण में मैं आपको भारत के स्वतंत्रता संग्राम, हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों, आज़ादी के बाद के भारत की प्रगति, हमारी जिम्मेदारियों और एक आदर्श नागरिक की भूमिका के बारे में विस्तार से बताऊँगा।

भाग 1: स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास

भारत में अंग्रेजों का शासन 1757 से शुरू हुआ, जब प्लासी के युद्ध में उन्होंने बंगाल के नवाब को हराया। धीरे-धीरे उन्होंने पूरे भारत पर नियंत्रण कर लिया और लगभग 200 वर्षों तक शासन किया। इस दौरान भारतीयों के साथ अत्याचार, शोषण और अपमान हुआ। किसानों से जबरन कर वसूला गया, भारतीय उद्योगों को नष्ट किया गया, और भारतीयों को गुलाम बनाकर रखा गया।

1857 में पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ जिसे "भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम" कहा गया। रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहेब, मंगल पांडे जैसे वीरों ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। हालांकि यह आंदोलन असफल रहा, लेकिन इसने आज़ादी की चिंगारी जला दी।

इसके बाद 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई जिसने आज़ादी की लड़ाई को संगठित रूप दिया। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, विपिन चंद्र पाल जैसे नेताओं ने "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है" जैसे नारों से जनजागृति फैलाई।

फिर महात्मा गांधी का आगमन हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह का मार्ग अपनाया। असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अभियानों ने पूरे देश को एकजुट कर दिया।

भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, अशफाक उल्ला खान, राजगुरु, सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों ने युवाओं को प्रेरित किया और ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया।

सुभाष चंद्र बोस ने "आजाद हिंद फौज" बनाई और भारत के बाहर से अंग्रेजों से लोहा लिया। उनके नारे — "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा" — आज भी हमें रोमांचित करते हैं।

1947 में लाखों लोगों के बलिदान और संघर्ष के बाद भारत को आज़ादी मिली। 15 अगस्त को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया और "ट्रिस्ट विद डेस्टिनी" नामक ऐतिहासिक भाषण दिया।

भाग 2: स्वतंत्रता के बाद का भारत

आज़ादी के बाद भारत के सामने कई चुनौतियाँ थीं — गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, विभाजन का दर्द, और एक नया संविधान बनाना। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हमारे संविधान का निर्माण किया जो दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।

भारत ने लोकतंत्र की स्थापना की। समय के साथ हमने पंचवर्षीय योजनाओं, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, अंतरिक्ष अनुसंधान, शिक्षा सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार आदि के माध्यम से निरंतर विकास किया।

आज भारत एक परमाणु शक्ति है, अंतरिक्ष में मंगल ग्रह तक पहुँचा है, दुनिया की सबसे तेज़ आर्थिक विकास दर वाले देशों में से एक है, और वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना चुका है।

भाग 3: स्वतंत्रता का सही अर्थ

स्वतंत्रता का अर्थ केवल अंग्रेजों से छुटकारा नहीं है। यह हमें अपने विचारों, कार्यों, और निर्णयों की आज़ादी देता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह आज़ादी किसी और की आज़ादी का हनन न करे।

सच्ची स्वतंत्रता तब होगी जब:

  • हर बच्चा शिक्षित होगा,
  • हर महिला सुरक्षित होगी,
  • हर नागरिक समान अवसर पाएगा,
  • और हर व्यक्ति अपना कर्तव्य निभाएगा।

भाग 4: हमारी जिम्मेदारियाँ

हमारे कर्तव्य हैं:

  • ईमानदारी से पढ़ाई करना,
  • माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करना,
  • समाज में अच्छा व्यवहार करना,
  • पर्यावरण की रक्षा करना,
  • और देश को आगे बढ़ाने में योगदान देना।

हमारे संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों का भी उल्लेख है:

  1. संविधान का पालन करना
  2. राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान
  3. देश की एकता और अखंडता बनाए रखना
  4. महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा
  5. सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा
  6. वैज्ञानिक सोच और मानवता का विकास

भाग 5: आज का छात्र – कल का नागरिक

हम, छात्र ही भविष्य के डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, शिक्षक, सैनिक और नेता हैं। इसलिए हमें अभी से नैतिक मूल्यों, अनुशासन, और देशप्रेम को आत्मसात करना चाहिए।

हमें स्वामी विवेकानंद के उस संदेश को याद रखना चाहिए: "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो।"

भाग 6: वीर जवानों को नमन

हमारे देश के सैनिक हर मौसम, हर परिस्थिति में सीमा पर तैनात रहते हैं। वे हमारे लिए अपने परिवार से दूर रहते हैं, दुश्मनों से लड़ते हैं और अपने प्राणों की आहुति तक दे देते हैं। कारगिल युद्ध, पुलवामा हमला, गलवान घाटी — ये घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि देश की रक्षा कितनी कठिन और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

आज हम जो चैन से जी रहे हैं, उसके पीछे हमारे जवानों का बलिदान है। हमें उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए।

भाग 7: एकता में शक्ति

भारत विविधताओं का देश है — अनेक भाषाएँ, धर्म, रीति-रिवाज — लेकिन फिर भी हम एक हैं। यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। जब हम एकजुट होते हैं, तो कोई ताकत हमें हरा नहीं सकती। हमें जातिवाद, भेदभाव और नफरत को त्यागकर प्रेम, भाईचारे और समानता की भावना से देश को आगे बढ़ाना चाहिए।

तिरंगा


भाग 8: प्रेरणादायक उदाहरण

  1. कल्पना चावला — एक भारतीय बेटी जो अंतरिक्ष में गई।
  2. अब्दुल कलाम — मिसाइल मैन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति।
  3. पी.वी. सिंधु, नीरज चोपड़ा, मेजर ध्यानचंद — जिन्होंने खेलों में भारत का नाम रोशन किया।
  4. इसरो के वैज्ञानिक — जिन्होंने चंद्रयान और मंगलयान से इतिहास रचा।

ये सभी हमें दिखाते हैं कि अगर हम ठान लें, तो कुछ भी असंभव नहीं।

भाग 9: आज का संकल्प

आइए हम आज यह संकल्प लें:

  • हम स्वच्छ भारत अभियान में भाग लेंगे
  • हम जल संरक्षण करेंगे
  • हम डिजिटल शिक्षा को अपनाएंगे
  • हम दूसरों की मदद करेंगे
  • हम भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान देंगे

भाग 10: समापन

अंत में मैं यही कहना चाहूँगा:

"ऐ वतन, वतन मेरे आबाद रहे तू, मैं जहाँ रहूँ जहाँ में याद रहे तू, ऐ वतन मेरे वतन।"

हम सब मिलकर भारत को महान बनाएँगे। आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर अपने दिल में देशप्रेम की लौ जलाएँ और इसे बुझने न दें।

जय हिन्द! जय भारत! वंदे मातरम्! 🇮🇳


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