प्रदूषण पर निबंध लिखें ?
प्रदूषण पर निबंध
प्रदूषण का अभिप्राय :—
विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले हैं वहां अभिशाप भी मिले हैं । प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप है जो विज्ञान की कोख से जन्मा है, जिसे सहने के लिए सारी जनता मजबूर है । ना शुद्ध हवा मिल पाता है, ना शुद्ध पानी और ना ही शुद्ध भोजन मिल पाता हैं।
प्रदूषण के प्रकार—
प्रदूषण निम्न प्रकार के होते हैं—
1. वायु प्रदूषण
2. जल प्रदूषण
3. ध्वनि प्रदूषण
1. वायु प्रदूषण:— महानगर में प्रदूषण सबसे अधिक फैला है । वहां 24 घंटे कल कारखानों के धुएं, मोटर वाहनों से निकलने वाले काले धुए इस तरह से वायु में फल जाते हैं कि स्वास्थ्य और शुद्ध वायु में सांस लेना कठिन हो गया है।
ये धुएं हमारे फेफड़ों में जाकर अनेक खतरनाक बीमारियां उत्पन्न करते हैं । यह समस्या जहां अधिक आबादी होती है वही उत्पन्न होता है, क्योंकि वहां जंगलों का अभाव होता है और वातावरण काफी गंदा रहता है।
2. जल प्रदूषण:— कल कारखानों से निकलने वाले दूषित जल नदी नालों में मिलकर भयंकर जल प्रदूषण पैदा करते हैं। बाढ़ के समय तो कारखानों के दूषित जल नदी नालों में मिल जाते हैं जिससे बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है। वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए परमाणु बमों के विस्फोट का निरीक्षण भी महासागरों और समुद्रों में ही किया जाता है जिससे जलीय जीवों को बहुत क्षति पहुंचती है।
जो जानवर नदियों के पानी पीते हैं वे खतरनाक बीमारियों का शिकार भी हो जाते हैं।
इसलिए गंदे जल का समुचित रखरखाव का उपाय करना चाहिए जिससे जल प्रदूषण न हो।
3. ध्वनि प्रदूषण:— ध्वनि प्रदूषण, ध्वनि तरंगों के स्रोत आवृत्ति और तीव्रता पर निर्भर करता हैै। सामान्य रूप से 25 डेसीबबल , 65 डेसीबल के ध्वनि को शांत, 75 डेसिबल के ध्वनि को शोर और इससे अधिक अर्थात 80 से 150 डेसीबल की ध्वनि प्रभावी होती है जो ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करती हैै।
उच्च तीव्रता की ध्वनि सुनने रक्तचाप बढ़ जाता है हृदय के रोगी अधिक परेशान भी हो जाते हैं।
इसके साथ ही नगरों में रहने वाले लोग तो शांति से सो भी नहीं सकते उनकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाती है अधिक शोर सुनने से हमारी कार्यक्षमता भी घट जाती हैं। 120 डेसीबल की ध्वनि गर्भवती महिलाओं पर हानिकारक प्रभाव डालती हैं।
ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण:— ऐसे उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए जिससे अधिक शोर ना हो। जनरेटर और कारों में साइलेंसर का प्रयोग करना बहुत आवश्यक है।इसके साथ ही मोटर वाहनों का कम उपयोग करना चाहिए ताकि प्रदूषण नियंत्रित रहे ।
प्रदूषण का समाधान — प्रदूषण से बचने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़-पौधों को लगाना होगा । सड़कों के किनारे वृक्ष लगाने होंगे । आबादी वाले क्षेत्र खुला हवादार और हरियाली से सुसज्जित होना चाहिए । कल- कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए उनसे निकलने वाले गंदे जल को नष्ट करने का उपाय सोचना चाहिए। चिमनी से निकलने वाले धुएं कल कारखानों से निकलने वाले धुएं मोटर गाड़ियों से निकलने वाले खतरनाक गैस - कार्बन मोनोऑक्साइड पर्यावरण को प्रदूषित करता है । वृक्षों की लगातार कटाई बढ़ रही है। जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ती जा रही है अतः विज्ञान की तकनीकी क्या कम से कम उपयोग करना चाहिए।
निष्कर्ष:— इन सभी विचारों और तथ्यों से यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रदूषण की समस्या मानव निर्मित है। जहां एक और मनुष्य की लापरवाही और जानबूझकर वातावरण प्रदूषित करने की गलत आदतें लग गई है, वहीं विज्ञान के दुरुपयोग के कारण भी है।
अत: प्रदूषण से बचने के लिए विज्ञान के चीजों का हमें कम से कम उपयोग करना होगा।
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